* नाक को रोगरहित रखने के लिए हमेशा नाक में सरसों , तिल आदि तेल की बूंदे डालनी चाहिए । कफ की वृद्धि हो या सुबह के समय के समय पित्त की वृद्धि हो अथवा दोपहर को वायु की वृद्धि हो तब शाम को तेल की बूंदे डालनी चाहिए । नाक में तेल की बूंद डालने वाले का मुख्य सुगंधित रहता है , शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ती , आवाज मधुर होती है , इंद्रियां निर्मल रहती है , बाल जल्दी सफेद नहीं होते तथा फुंन्सियां नहीं होती ।
* अंगों को दबवना , यह मांस, खून और चमड़ी को खूब साफ करता है , प्रतिकारक होने से निद्रा लाता है , वीर्य बढ़ता है तथा कफ , वायु एवं परिश्रमजन्म थकान का नाश करता है।
* कान में नित्य तेल डालने से कान के रोग या मैल नहीं होता । बहुत ऊंचा सुनना या बहरापन नहीं होता । कान में कोई भी द्रव्य (औषधि) भोजन से पहले डालना चाहिए ।
* नहाते समय तेल का प्रयोग किया हो तो वह तेल रोंगटों के छिद्रों , शिराओं के समूहों तथा धमनियों के द्वारा संम्पूर्ण शरीर को तृप्त करता है तथा बल प्रदान करता है ।
* शरीर पर उबटन मसलने से कफ मिटता है , मेद कम होता है , वीर्य बढ़ता है ,बल प्राप्त होता है ,रक्तप्रवाह ठीक होता है , चमड़ी स्वच्छ तथा मुलायम होती है ।
*दर्पण के दहदर्शन करना या मंगलरूप , क्रांतिकारक , पुष्टिदाता है , बल और आयुष्य को बढ़ाने वाला है और पाप तथा दारिर्दय का नाश करने वाला है ।
* जो मनुष्य सोते समय बिजौर के पत्तो का चूर्ण शहद के साथ चाटता है वह सुखपूर्वक सो सकता है , खर्राटे नहीं लेता ।
* जो मानव सूर्योदय से पूर्व , रात का रखा हुआ आधा से सवा लीटर पानी पीने का नियम रखता है वह स्वस्थ रहता है ।