प्रत्येक मनुष्य दीर्घ , स्वस्थ और सुखी जीवन चाहता है । यदि स्वस्थ और दीर्घजीवी बनना हो तो कुछ नियमों को अवश्य समझ लेना चाहिए :
* आसन - प्राणायाम , जप - ध्यान , संयम - सदाचार से मनुष्य दीर्घजीवी होता है ।
* मोटी एवं सूती वस्त्र ही पहनें । सिंथेटिक वस्त्र स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है ।
* विवाह तो करें किंतु संयम - नियम से रहें , ब्रह्मचर्य का पालन करें ।
* आप जो कार्य करते हैं , सप्ताह में कम -से - कम एक दिन उससे मुक्त हो जाइये । मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जो आदमी सदा ऐसा एक जैसा काम करता रहता है उसको थकान और बुढ़ापा जल्दी आ जाता है ।
* चाय - कॉफी , शराब - कबाब , धूर्मपान बिल्कुल त्याग दें ।पानमसाले की मुसीबत से भी सदैव बचें । यह धातु की धातु को क्षीण व रक्त को दूषित करके कैंसर को जन्म देता है । अतः इसका त्याग करें ।
* लघुशंका करने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए ,न ही पानी पीने के तुरंत बाद लघुशंका जाना चाहिए । लघुशंका करने की इच्छा हुई हो तब पानी पीना ,भोजन करना ,मैथुन करना आदि भी हितकारी नहीं है । क्योंकि ऐसा करने से भिन्न - भिन्न प्रकार के मूत्ररोग हो जाते हैं, ऐसा वेदो में स्पष्ट बताया गया है ।
* मल - मूत्र का वेग (हाजत ) नहीं रोकना चाहिए , इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है व बीमार भी पड़ सकते हैं । अतः कुदरती हजात यथाशीघ्र पूरी कर लेनी चाहिए ।
* प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाना , सुबह - शाम खुली हवा में टहलना उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी
है ।
* दीर्घायु व स्वस्थ जीवन के लिए प्रातः कम - से - कम 5 मिनट तक लगातार तेज दौड़ना या चलना तथा कम - से - कम 15 मिनट नियमित योगासन करने चाहिए ।