रैदास के पद
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना बादल और मोर से, चंद्र और चकोर से,दीपक और बाती से,मोती और धागे से,सुहागा और, सोन से,चंदन और पानी से तथा स्वामी और दास से की गई हैं| (घ) दूसरे पद में कवि ने 'गरीब निवाजु' किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
(घ) 'गरीब निवाजु' का अर्थ है, गरीबों पर दया करने वाला। कवि ने परमात्मा को 'गरीब निवाजु' कहा है क्योंकि परमात्मा ही गरीबों का उद्धार करते हैं, सम्मान दिलाते हैं, सबके कष्ट हरते हैं और भवसागर से पार उतारते हैं। जैसे उन्होंने नामदेव, कबीर, तिलोचन, सधना और
सैन को सर्वश्रेष्ठ बना दिया |
(ङ) दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ङ) 'जाकी छोति जगत कउ लागै' का अर्थ है जिसका छूना भी संसार के लोगों को लग जाता है और 'ता पर तुहीं ढरै' का अर्थ है उस पर आप ही द्रवित हो गए है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनको अछूत मानता है और उनसे दूर रहता है। परन्तु ईश्वर कोई भेदभाव न करके उन पर दया करते हैं; उनको गले
लगाते हैं; उनकी मदद करते हैं और उनकी पीड़ा हरते हैं।
(च) 'रैदास' ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
(च) रैदास ने अपने स्वामी को गुसईयाँ, गोविंद,हरि, गरीब निवाजु, लाल, प्रभु आदि नामों से पुकारा है।
2. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव
स्पष्ट कीजिए −
(क)जाकी अँग-अँग बास समानी
(क) प्रस्तुत
पंक्ति के माध्यम से रैदास जी यह कहना चाहते हैं कि उनके अंग-अंग में राम-नाम की सुगंध
व्याप्त हो गई है। जैसे चंदन के पानी में मिलने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, उसी प्रकार राम नाम के जप की सुगन्ध उसके अंग-अंग में समा गई
है।
(ख)जैसे चितवत चंद चकोरा
(ख) प्रस्तुत
पंक्ति के माध्यम से रैदास जी यह कहना चाहते हैं कि जैसे चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद
को एकटक निहारता रहता है, उसी तरह कवि अपने प्रभु राम को भी एकटक निहारता रहता है।
इसीलिए कवि ने अपने को चकोर कहा है।
(ग)जाकी जोति बरै दिन राती
(ग) प्रस्तुत
पंक्ति के माध्यम से रैदास जी यह कहना चाहते हैं ईश्वर दीपक के समान हैं| जिनकी ज्योति हमेशा जलती रहती है। उसका प्रकाश
सर्वत्र सभी समय रहता है।
(घ)ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
(घ) प्रस्तुत
पंक्ति में रैदास जी ने भगवान को लाल कहा है| उन्होंने कहा है कि परमात्मा
को छोड़कर कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों को ऊपर उठाने का काम करता हो।
(ङ)नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु
काहू ते न डरै
(ङ) कवि का कहना
है कि ईश्वर हर कार्य को करने में समर्थ हैं। वे नीच को भी ऊँचा बना लेता है। उनकी कृपा से व्यक्ति
निम्न वर्ग में जन्म लेने के उपरांत भी उच्च वर्ग से भी श्रेष्ठ बन जाता है।
3. रैदास के इन पदों का
केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
प्रथम पद -जब
भक्त के हृदय में एक बार प्रभु नाम की रट लग जाए तब वह छूट नहीं सकती। कवि ने भी प्रभु के
नाम को अपने अंग-अंग में समा लिया है। वह उनका अनन्य भक्त बन चुका है। भक्त और
भगवान दो होते हुए भी मूलत: एक ही हैं। उनमें आत्मा
परमात्मा का अटूट संबंध है।
दूसरे पद− प्रभु सर्वगुण सम्पन्न सर्वशक्तिमान
हैं। वे निडर है तथा गरीबों के रखवाले हैं। ईश्वर
अछूतों के उद्धारक हैं तथा नीच को भी ऊँचा बनाने वाले हैं।
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