प्रभू मोरे अवगुण चितनधरो।समदरसी है नाम तिहारो चाहो तो पार करो।|
एक लोहा पूजा में राखत एक रहत ब्याध घर परो|
पारस गुण अवगुण नहिं चितवत कंचन करत खरो||
एक नदिया एक नाल कहावत मैलो ही नीर भरो|
जब दौ मिलकर एक बरन भई सुरसरी नाम परो||
एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो|
अबकी बेर मोंहे पार उतारो नहिं पनजात चलो|