चित्र वर्णनं
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भाषा अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन है | भाषा की अभिव्यक्ति
बोलकर अथवा लिखकर की
जाती है | चित्र वर्णन लेखन अभिव्यक्ति कौशल सिखाने हेतु
अच्छा प्रयास है |
परीक्षा में चित्र वर्णनं को शामिल करने का
उद्देश्य छात्रों को संस्कृत भाषा में लिखकर तथा
बाद में बोलकर अपने भावों व्यक्त
करने की क्षमता का विकास करना है|
संस्कृत में चित्र वर्णन करते समय निम्नलिखित
बातो का ध्यान रखें-
१- वाक्य रचना लट लकार में ही करें |
२- वाक्य रचना प्रथम
पुरुष में ही करें |
३- यथासंभव छोटे
वाक्य बनाएँ |
४- कर्ता और क्रिया
का पुरुष तथा वचन समान होने चाहिए|
वाक्य लेखन का
प्रारूप -
१- एतत् चित्रं
------------------------अस्ति |
(जिस का चित्र हो
उसे षष्टी एक वचन में लिखें | )
जैसे- एतत् चित्रं
------------ विद्यालयस्य
------------अस्ति |
२- चित्रे
-----------------------अस्ति /स्तः /सन्ति |
(चित्र में जो-जो
चीजें दिख रही हैं, उसके बारे में लिखें| कर्ता के वचन व क्रिया के वचनों में
समानता का ध्यान रखें | )
जैसे- चित्रे
------------अनेके
अध्यापकाः----------- सन्ति |
३- दो ऐसे वाक्य
लिखें, जिसमें किसीके के द्वारा कुछ किया जा रहा हो|
कर्ता + क्रिया
जैसे- एकः अध्यापकः पाठयति |
एकः
छात्रः प्रश्नं पृच्छति |
४- अंत में समापन
वाक्य होने चाहिए|
जैसे- --------- विद्यालयस्य ---------------दृश्यं
सुन्दरम् अस्ति |
(पहले वाले वाक्य
में जिसका चित्र बताया गया हो, वहीं यहाँ लिख दें |
अथवा
विद्यालयः
शिक्षार्थाय भवति |