बुधवार, 20 जनवरी 2021

पानी की कहानी

                                            पानी की कहानी 
          शब्दार्थ 

साँसत - कठिनाई में पड़ना  
वर्णनातीत - जिसका वर्णन न किया जा सके
विचित्र- अनोखा 
सिकुड़ी -संकुचित 
दीर्घजीवी - लंबे समय तक जीने वाला 
फल स्वरूप -परिणाम स्वरूप 

     विलोम शब्द 

असह्य -सह्य
दुर्भाग्यवश - सौभाग्यश 
निर्दय - दयालु 
दिवस रजनी 

पर्यायवाची शब्द 

अगुवा - नेता , नायक 
नगर - शहर ,पुर 
पहाड़-  पर्वत,अचल 

 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए -

प्रश्न -१ लेखक को ओस की बूँद कहाँ  मिली ?

उत्तर-लेखक को ओस की बूँद बेर के पेड़ के नीचे मिली ?

प्रश्न-२  ओस की  बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी ?

उत्तर- पेड़ की जड़ों के रोएँँ असंख्य जल कणों को बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं | वे बहुत से जलकणों को या  पूर्ण रूप से खा लेते  हैं या फिर उनका सब कुछ छीन कर उन्हें बाहर निकाल देते हैं । यह बात सोच कर ओस की  बूँद क्रोध और घृणा से काँप उठी | 

 प्रश्न -३ हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज  क्यों कहा है?

उत्तर- हाइड्रोजन और ऑक्सीजन नामक दो गैसें सूर्य मंडल में लपटों के रूप में स्थित थींं |  एकबार  सूर्य की ओर एक प्रचंड प्रकाश पिंड आ रहा था | ऐसा लगा मानो इस ग्रह राज से टकराकर सूर्य चूर्ण बन जाएँगे पर वह सूर्य से हजारों मील दूर से ही दूसरी ओर मुड़कर चला गया,  लेकिन उसकी प्रबल आकर्षण शक्ति के कारण सूर्य कई टुकड़ों में टूट गया | उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी धरती है | यह धरती प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी | उसके कुछ वर्षों बाद धरती ठंडी हो गई तब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में रासायनिक क्रिया हुई जिसके कारण उन दोनों ने अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व खो दिया तथा मिलकर पानी के रूप में परिवर्तित हो गए | इसलिए पानी ने हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अपना पूर्वज कहा है | 

प्रश्न ४- पानी की कहानी  पाठ के आधार पर पानी के जन्म और जीवन यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए| 

उत्तर-  जब ब्रह्माण्ड में पृथ्वी व उसके साथी  ग्रहों का उद्भव भी नहीं हुआ था तब ब्रह्मांड में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों  सूर्य मंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थी | किसी उल्कापिंड के सूर्य के पास से गुजर जाने पर उसके गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण सूर्य के टुकड़े- टुकड़े हो गए और उन्हीं टुकड़ों में से एक टुकड़ा पृथ्वी रूप में उत्पन्न हुआ और इस ग्रह में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के बीच रासायनिक क्रिया हुई और दोनों के सहयोग से पानी का जन्म हुआ | प्रारम्भ में वह भाप  के रूप में पृथ्वी के वातावरण में आसपास घूमती रहती है फिर बर्फ  के रूप में विद्यमान हो जाती है|  समुद्र की  गर्म धारा से मिलकर पानी का रूप धारण कर लेती है | बूँद समुद्र से धरती में प्रवेश करती है तथा ज्वालामुखी के विस्फोट के साथ पुन: धरती के ऊपर आ जाती है और नदी में विचरण करती है | इस प्रकार उसका जीवन चलता रहता है |  

प्रश्न ५ - ओस की  बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी ? 

उत्तर- ओस की  बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए सूर्योदय की प्रतीक्षा कर रही थी| 

प्रश्न ६-  पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस  क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं ?

पेड़ के  भीतर फव्वारा नहीं होता फिर भी पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी पहुँचता है क्योंकि पेड़ की जड़ों व तनों  में जाइलम और फ्लोएम नामक वाहिकाएँ  होती हैं जो पानी को जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाती  हैं इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में संवहन ( ट्रांस्पिरेशन)कहते हैं  |