शनिवार, 25 जनवरी 2020

anokhi kahaniya- 30

                 !!!---: सत्यवादी ---!!!
राफेल और एंजेलो इटली के महान चित्रकार थे। उनकी चित्रकारी के नमूने जो कोई देखता दांतो तले उंगली दबा लेता था। एक ही क्षेत्र का होने के कारण दोनों में हमेशा प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। एक समय ऐसा आया जब दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन गए।

एक बार इटली के एक व्यापारी ने देवालय की दीवारों पर चित्र बनाने के लिए राफेल को आमंत्रित किया। व्यापारी ने राफेल को पारिश्रमिक के रूप में सौ सिक्के अग्रिम के रूप में दिए और शेष राशि काम पूरा होने के बाद देने का वादा किया। राफेल ने दिन-रात एक करके चार उत्कृष्ट भित्ति चित्र बनाए। चित्र बन जाने पर व्यापारी शेष राशि देने में आनाकानी करने लगा। 

राफेल के बार-बार पारिश्रमिक मांगने पर व्यापारी ने कहा, ‘चित्र कुछ खास नहीं हैं। इन चित्रों का वास्तविक मूल्य उतना ही है जितना मैंने पहले ही भुगतान कर दिया है।’ जब राफेल ने आपत्ति की तो व्यापारी ने कहा कि चित्र की विशेषता की जांच के लिए वह एक निरीक्षक की नियुक्ति करेगा। निरीक्षक जो फैसला देगा, वह उसे मान्य होगा। राफेल ने इस पर अपनी सहमति दे दी।

व्यापारी को राफेल और एंजेलो की दुश्मनी के बारे में पता था। उसने जान-बूझकर एंजेलो को निरीक्षक नियुक्त कर दिया। व्यापारी ने ऐसा यह सोच कर किया था कि राफेल से दुश्मनी के कारण एंजेलो उन चित्रों को घटिया करार देगा। दिन तय किया गया और एंजेलो ने दीवार पर बनाए गए राफेल के चित्रों का निरीक्षण किया। 

उसने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा, ‘यह चित्र वाकई बहुत मेहनत से बनाए गए हैं। इसमें रंगों और रेखाओं का तालमेल भी उत्कृष्ट कोटि का है। इन चित्रों को चित्रकला की एक शानदार उपलब्धि के रूप में देखा जाएगा।’ एंजेलो ने अपने संबंधों की परवाह न करते हुए राफेल के पक्ष में फैसला सुनाया और व्यापारी को शेष पारिश्रमिक के भुगतान का निर्देश दिया।

प्रतिकार अर्थात् बदला चुकाने के लिए बहुत अवसर है, लेकिन रचना के साथ खिलवाड़ या जल कदापि नहीं करना चाहिए । एंजेलों ने वही किया, जो एक सफल सत्यवादी व्यक्ति को करना चाहिए और उसने चित्र के सही प्रशंसा की जो उसके लिए आवश्यक थी ।