मुहावरे और लोकोक्तियाँ
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निम्नलिखित मुहावरे या लोकोक्तियाँ का अर्थ लिखकर
वाक्य बनाएँ |
गागर में सागर
नाच न जाने आँगन टेढ़ा
नौ नगद,
न तेरह उधार
दूध का जला छाछ को भी फूँक-फूँक कर पीता
है।
ऊँट के मुंह में जीरा
अंधों में काना राजा
ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती।
मुख
में राम-राम और बगल में छूरी।
नीम हकीम ख़तरा-ए-जान।
अंत भला तो सब भला।
थोथा चना बाजे घना।
अधजल
गगरी छलकत जाय।
चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात।
एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती
है।
जैसा
राजा वैसी प्रजा।
जैसी करनी वैसी भरनी।
लालच बुरी बला है।
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।
दान की बछिया का दांत नहीं देखा जाता।
होनहार बिरवान के होत चीकने पात
भैंस के आगे बीन बजाना।
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम।
नेकी कर दरिया में डाल।
डूबते को तिनके का सहारा।
जिसकी लाठी उसकी भैंस।