शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

Samas




                                      समास
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समास का मतलब हैसंक्षिप्तीकरण या शब्दों को छोटा बना कर लिखना |
दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे-‘भोजन के लिए आलय इसे हमभोजनालयभी कह सकते हैं।
समास-विग्रह- राजा का पुत्र
समास - रापुत्र  

समास के भेद

1.
अव्ययीभाव समास
2.
तत्पुरुष समास
3.
द्वंद्व समास
4.
बहुव्रीहि समास

1. अव्ययीभावसमास
पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययी भाव समास कहते हैं।  
यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु पर्यंत ) इनमें यथा और आ अव्यय हैं।
आजीवन - जीवन-भर, यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार, यथाविधि - विधि के अनुसार

2. तत्पुरुषसमास
 विग्रह में कारक चिह्न प्रकट हो और समास में कारक चिह्न समाप्त हो।
विभक्तियों के नाम के अनुसार इस के छह भेद हैं-
(1)
कर्मतत्पुरुष     गिरहकट - गिरह को काटने वाला
(2)
करणतत्पुरुष    मनचाहा - मन से चाहा
(3)
संप्रदानतत्पुरुष   रसोईघर - रसोई के लिए घर
(4)
अपादानतत्पुरुष  देशनिकाला - देश से निकाला
(5)
संबंधतत्पुरुष    गंगाजल - गंगा का जल
(6)
अधिकरणतत्पु   नगरवास - नगर में वास
() नञतत्पुरुषसमास
पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं।
असभ्य न सभ्य
अनंत  न अंत
अनादि न आदि
असंभव न संभव

() कर्मधारयसमास
विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास है।
चंद्रमुख - चंद्र जैसा मुख
नीलकमल- नीला है जो कमल

) द्विगु समास
पूर्व पद संख्या वाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। समूह अथवा समाहार का बोध होता है।
त्रिलोक - तीनों लोकों का समाहार
चौमासा - चार मासों का समूह

3. द्वंद्वसमास
दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने परऔर’, अथवा, ‘या’, एवं लगता है |  
पाप-पुण्य - पाप और पुण्य
राधा-कृष्ण - राधा और कृष्ण

4. बहुव्रीहिसमास
समस्त पद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। 
पीतांबर - पीले है अम्बर (वस्त्र) जिसके अर्थात् श्रीकृष्ण
लंबोदर - लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेशजी