पत्र लेखन
मनुष्य अपने मन के भावों या सन्देश को दूसरों तक पहुँचने के लिए पत्र का सहारा लेता है । यह मानवीय संबंधों में सेतु का काम करता है ।
पत्र लेखन करते करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए -
- विचार क्रमबद्ध रूप से लिखे होने चाहिए ।
- पत्र लेखन का उद्देश्य और विषय-वस्तु स्पष्ट होने चाहिए ।
- अनौपचारिक पत्र लेखन - सम्बन्धियों को
- औपचारिक पत्र लेखन - जिन से सीधा सम्बन्ध न हो उनको
पत्र भेजने वाले का पता
दिनांक
सम्बोधन
अभिवादन
विषय विस्तार
समापन
पत्र प्राप्त करने वाले से सम्बन्ध
पत्र भेजने वाले का नाम
अभ्यास कार्य
प्रश्न १ - ग्रीष्मावकाश के अवसर पर भ्रमणार्थ अपने मित्र को पत्र लिखें ।
प्रश्न २ - व्यायाम का महत्त्व बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखें ।
प्रश्न ३ - अपने छोटे भाई के जन्म दिवस पर आमंत्रित करते हुए मित्र को पत्र लिखें ।
प्रश्न ४ - अपनी माता जी को बीमारी की अवस्था पर चिंता प्रकट करते हुए को पत्र लिखें ।
औपचारिक पत्र के अंग
पत्र भेजने वाले का पता (यदि प्रधानाचार्य को लिख रहे हैं तो अपना पता न लिखें )
दिनांक (यदि प्रधानाचार्य को लिख रहे हैं तो दिनांक अंत में लिखें )
पत्र प्राप्त करने वाले अधिकारी का पद नाम
विषय
सम्बोधन
विषय विस्तार-
( समस्या का वर्णन )
(अधिकारी से अपेक्षा )
समापन
समापन शब्दावली
पत्र भेजने वाले का नाम
अभ्यास कार्य
प्रश्न १-प्रधानाचार्य को आवेदन-पत्र जिसमें पुस्तकालय में हिंदी की पत्रिकाएँ मँगाने की प्रार्थना की गई हो। प्रश्न २-अपने क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखें जिसमें नगर को स्वच्छ करवाने की प्रार्थना की गई हो।