सुदामा चरित
शब्दार्थ
पगा - पगड़ी
झँगा - ढीला कुर्ता
आहि - है
लटी - लटकन
दुपटी - दुपट्टा ,रुमाल ,अंगोछा
उपानह - जूता
द्विज - ब्राह्मण
चकिसों - चकित
वसुधा- पृथ्वी
बिवाइन- पाँव की एड़ी का फटना
अभिरामा -सुंदर
जोए - ढूँढ़ना
परात - थाली की तरह एक बड़ा और गहरा बर्तन
पाछिली - पिछला
पुलकनि- खुशी, उमंग
पठवनि - भेजना
बिलोकिबे -देखना
मझायो - बीच में
सुहावत - सुंदर, भला लगना
जूता -पनही
महावत -हाथीवान
जुरत - प्राप्त होना
विलोम शब्द
दुर्बल X सबल
सखा X शत्रु
कंटक X पुष्प
सुधा X विष
महादुख X परमसुख
आदर X निरादर
पर्यायवाची
द्विज - ब्राह्मण, विप्र
सुधा - अमृत, पीयूष
तंदुल - चावल, अक्षत
बाजि - घोड़ा,अश्व
वसुधा - धरा जमीन
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न १- सुदामा की दीन दशा देखकर श्री कृष्ण की क्या मनोदशा हुई अपने शब्दों में लिखिए |
उत्तर- सुदामा की दीन दशा देखकर श्री कृष्ण को बहुत दुख हुआ | सब पर करुणा करने वाले श्री कृष्ण दया से भर उठे और रोने लगे |
प्रश्न २- 'पानी परात को हाथ छुयो नहीं नैनन के जल सों पग धोए' पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए
उत्तर- कृष्ण और सुदामा परम मित्र थे |कृष्ण राजा थे और उनका मित्र अत्यधिक गरीबी का जीवन जी रहा था | जब सुदामा दीन अवस्था में श्री कृष्ण के पास पहुँँचे तो कृष्ण अपने बाल सखा की दयनीय दशा को देखकर दुखी हो गए | उनके पैरों की हालत उनसे देखी न गई | उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए परात में रखे जल को छुआ भी नहीं और अपनी आँखों के आँसुओं से ही उनके पैर धो दिए| अर्थात सुदामा की दशा देखकर कृष्ण बहुत दुखी हुए |
प्रश्न ३-'चोरी की बान में हौ जू प्रवीने | '
क- उपर्युक्त वाक्य कौन किससे कह रहा है ?
उत्तर- उपर्युक्त पंक्ति श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा से कह रहे हैं
ख -इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर- जब सुदामा अपने बाल सखा श्री कृष्ण से मिलने के लिए उनके महल द्वारिका पहुँचते हैं तो उनके राजसी ठाठ को देखकर पत्नी द्वारा भेंट स्वरूप दी गई चावल की पोटली देने में संकोच करने लगे | श्री कृष्ण ने देखा कि सुदामा एक पोटली को बार-बार अपनी बगल में छिपा रहे हैं तो उन्होंने उनसे पूछ ही लिया कि भाभी जी ने जो मेरे लिए उपहार भेजा है वह मुझे क्यों नहीं देते ? चोरी की आदत में तो तुम बड़े कुशल हो ?
ग- इस उपालंभ के पीछे कौन सी पौराणिक कथा है ?
उत्तर-बचपन में श्री कृष्ण और सुदामा दोनों एक ही आश्रम में शिक्षा प्राप्त किया करते थे | गुरुकुल में सभी विद्यार्थियों को सारे काम अपने हाथों से ही करने पड़ते थे| एक बार गुरु माता ने उन्हें लकड़ियाँ लाने जंगल भेजा | उन्होंने कृष्ण और सुदामा को रास्ते में खाने के लिए पोटली में बांँध कर चने दिए ताकि भूख लगे तो उसे खाकर वे अपनी भूख शांत कर सकें | परन्तु सुदामा गुरु माता द्वारा दिए गए चने चोरी से अकेले खा गए और कृष्ण को थोड़ा भी नहीं मिला| इस घटना को याद करके श्री कृष्ण ने उक्त शिकायत की थी |
प्रश्न ४- द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे ? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे ? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए |
उत्तर- जब श्री कृष्ण सुदामा को किसी प्रकार की मदद किए बिना भेज देते हैं तो वह अंदर ही अंदर चिंतित हो जाते हैं और सोचने लगते हैं कि बचपन में तो कृष्ण थोड़ी सी दही के लिए घर-घर घूमते थे । अब राजा हो गए तो क्या हुआ । आदत तो बचपन वाली ही है न | बचपन में जिस की आदत चोरी करने की हो वह बड़े होकर किसी को दान में क्या दे सकता है| आदत तो उसकी बचपन वाली ही रहती है | उन्होंने सोचा कि अब जाकर पत्नी से कहूँगा कि लो बहुत धन लेकर आया हूँ ,रख लो | वह कृष्ण के व्यवहार से इसलिए खीझ रहे थे क्योंकि कृष्ण ने उन्हें खाली हाथ विदा कर दिया था |
सुदामा के मन में यह दुविधा आ जाती है कि श्री कृष्ण ने उनकी सेवा तो बहुत की, प्यार से रखा भी परंतु उनकी गरीबी को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया |
प्रश्न ५ -अपने गाँव लौट कर सुदामा जब अपनी झोपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए ?कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए |
सुदामा जब द्वारिका से अपने गाँव वापस आए तो उन्हें वहाँ सब कुछ बदला-बदला नजर आ रहा था उन्हें अपने आसपास द्वारिका जैसे ही राजभवन, घोड़े और हाथी आदि दिख रहे थे ऐसे में वे सोचने पर विवश हो गए कि कहीं वे अपने गाँव का रास्ता भूल कर द्वारिका वापस तो नहीं आ गए ?
प्रश्न ६ -निर्धनता के बाद मिलने वाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है | उसे अपने शब्दों में लिखिए |
उत्तर-प्रभु की कृपा से सुदामा की विपन्नता पूरी तरह से संपन्नता में बदल चुकी थी | अब उनकी झोपड़ी की जगह सोने का महल बन गया था | पहले उनके पैरों में जूते तक नहीं हुआ करते थे पर अब आने जाने के लिए गजराज लिए महावत खड़े रहते थे | पहले कठोर भूमि पर सो कर के रात बितानी पड़ती थी पर अब मुलायम बिस्तर पर नींद नहीं आती| पहले पेट भरने के लिए मोटा अनाज तक उपलब्ध नहीं था अब श्री कृष्ण की कृपा से द्राक्ष भी उनके मन को नहीं भाता| इस तरह उनकी जिंदगी में विपन्नता के लिए कोई स्थान न बचा था अर्थात श्री कृष्ण ने सुदामा को सुख सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया था|