ऋषि-मुनियों, साधु-संतों को
नमन, उन्हें मेरा अभिनंदन
जिनके तप से पूती हुई है
भारत देश की स्वर्णिम माटी
जिनके श्रम से चली आ रही
युग-युग से अविरल परिपाटी।
जिनके संयम से शोभित है
जन-जन के माथे पर चंदन ।
कठिन आत्म-मंथन के हित
जो असि-धारा पर चलते हैं
पर-प्रकाश हित पिघल-पिघल कर
मोम-दीप-सा जलते हैं।
जिनके उपदेशों को सुनकर
संवर जाए जन-जन का जीवन।
सत्य-अहिंसा जिनके भूषण
करुणामय है जिनकी वाणी
जिनके चरणों से है पावन
भारत की यह अमिट कहानी।
उनके ही आशीष, शुभेच्छा,
पाने को करता पद-वंदन।
प्रश्न
1. कवि किसको अभिनन्दन और नमन करते हैं ?
2. भारत के ऋषि-मुनियों ने भारत को किन-किन रूपों में अनुपम बनाया है?
3. सत्य और अहिंसा किसके आभूषण हैं ?
4. ऋषि-मुनि आत्म मंथन के लिए कहाँ चलते हैं ?
5 . कविता का शीर्षक क्या है ?