सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

Anokhi kahaniya 16

देखने का नजरिया

• एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ नदी में स्नान कर रहे थे। तभी एक राहगीर वहाँ से गुजरा तो संत को नदी में नहाते देख वो उनसे कुछ पूछने के लिए रुक गया। वो संत से पूछने लगा ”महात्मन मैं अभी अभी इस जगह पर आया हूँ और नया होने के कारण मुझे इस जगह के बारे कोई विशेष जानकारी नहीं है। कृपा करके आप मुझे एक बात बताईये कि यहाँ रहने वाले लोग कैसे है?

• इस पर महात्मा ने उस व्यक्ति से कहा कि ”भाई में तुम्हारे सवाल का जवाब बाद में दूँगा। पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम जिस जगह से आये वो वहाँ के लोग कैसे है?”

• इस पर उस आदमी ने कहा “उनके बारे में क्या कहूँ महाराज वहाँ तो एक से एक कपटी और दुष्ट लोग रहते है इसलिए तो उन्हें छोड़कर यहाँ बसेरा करने के लिए आया हूँ।” महात्मा ने जवाब दिया बंधू ”तुम्हे इस गाँव में भी वैसे ही लोग मिलेंगे कपटी, दुष्ट और बुरे।” उनका जवाब सुनकर वह आदमी आगे बढ़ गया।

• थोड़ी देर बाद एक और राहगीर उसी मार्ग से गुजरता है और महात्मा से प्रणाम करने के बाद कहता है ”महात्मा जी मैं इस गाँव में नया हूँ और परदेश से आया हूँ और इस गाँव में बसने की इच्छा रखता हूँ लेकिन मुझे यहाँ की कोई खास जानकारी नहीं है इसलिए आप मुझे बता सकते है ये जगह कैसी है और यहाँ रहने वाले लोग कैसे है?”

• महात्मा ने इससे भी वही प्रश्न किया और कहा कि ”मैं तुम्हारे सवाल का जवाब बाद में दूँगा। पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम जिस देश से भी आये हो वहाँ रहने वाले लोग कैसे है?”

• उस व्यक्ति ने महात्मा से कहा ”गुरूजी जहाँ से मैं आया हूँ वहाँ सभी सभ्य, सुलझे हुए और नेकदिल इन्सान रहते है। मेरा वहाँ से कही और जाने का कोई मन नहीं था लेकिन व्यापार के सिलसिले में इस और आया हूँ और यहाँ की आबोहवा भी मुझे भा गयी है इसलिए मैंने आपसे ये सवाल पूछा था।”

इस पर महात्मा ने उससे कहा बंधू ”तुम्हे यहाँ भी नेकदिल और भले इन्सान मिलेंगे।” वह राहगीर भी उन्हें प्रणाम करके आगे बढ़ गया।

• शिष्य ये सब देख रहे थे तो उन्होंने ने उस राहगीर के जाते ही पूछा– गुरूजी! ये क्या अपने दोनों राहगीरों को अलग अलग जवाब दिए। हमे कुछ भी समझ नहीं आया।

• तब महात्मा मुस्कुराकर बोले– वत्स आमतौर पर हम आपने आस पास की चीजों को जैसे देखते है वो वैसी होती नहीं है। हम अपने अनुसार अपनी दृष्टि (point of view) से चीजों को जिस तरह से देखते है हमें सभी चीजे उसी तरह से दिखती हैं। अगर हम अच्छाई देखना चाहें तो हमे अच्छे लोग मिल जायेंगे और अगर हम बुराई देखना चाहें तो हमे बुरे लोग ही मिलेंगे। सब देखने के नजरिये पर निर्भर करता है।

• मित्रों, ये बात वास्तव में सही है। हम खुद जैसे हैं या जिस नज़रिये से हम दूसरों को देखते है दूसरे लोग भी हमें वैसे ही दिखाई देते है। नकारात्मक सोच वाले हमेशा नकारात्मकता की ही बाते करेंगे क्योंकि वो हर एक चीज में नकारात्मकता ही देखते है। सकारात्मक सोच वाले हमेशा सकारात्मकता की ही बाते करेंगे क्योंकि वो हर एक चीज में सकारात्मकता ही देखते है। इसलिए आप अपने आप को बदलिये और अच्छे बन जाइये। आपको हर एक चीज अच्छी दिखाई देगी।