शनिवार, 1 अगस्त 2015

VIRAM CHIHAN IN HINDI CLASS 9





                         विराम-चिह्न

विराम-चिह्न- ‘विरामशब्द का अर्थ हैरुकना
जब हम अपने भावों को भाषा के द्वारा व्यक्त करते हैं तब एक भाव की अभिव्यक्ति के बाद कुछ देर रुकते हैं, यह रुकना ही विराम कहलाता है।
इस विराम को प्रकट करने हेतु जिन कुछ चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, विराम-चिह्न कहलाते हैं । वे इस प्रकार हैं-
1.
अल्पविराम (,)-पढ़ते अथवा बोलते समय बहुत थोड़ा रुकने के लिए अल्पविराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-राधा , गीता और रीता ।
2. अर्धविराम (;)- जहाँ अल्प विराम की अपेक्षा कुछ ज्यादा देर तक रुकना हो वहाँ इस अर्ध-विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-चंद्रोदय हो गया; प्रकाश न जाने कहाँ लुप्त हो गया।
3.
पूर्णविराम ()-जहाँ वाक्य पूर्ण होता है वहाँ पूर्ण विराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे- विक्की पुस्तक पढ़ रहा है।
4.
विस्मयादिबोधकचिह्न (!)- विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा आदि भावों को दर्शाने वाले शब्द के बाद अथवा कभी-कभी ऐसे वाक्यांश या वाक्य के अंत में भी विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे- हाय ! राजू बेचारा मारा गया।
5.
प्रश्नवाचकचिह्न (?)- प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे- तुम कहाँ रहते हो  ?
6.
कोष्ठक ()- इसका प्रयोग पद  (शब्द) का अर्थ प्रकट करने हेतु,  क्रम-बोध और नाटक या एकांकी में अभिनय के भावों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
जैसे-लगातार व्यायाम करते रहने से शरीर स्वस्थ रहता है।

7.
निर्देशकचिह्न (-)-इसका प्रयोग विषय-विभाग संबंधी प्रत्येक शीर्षक के आगे, वाक्यों, वाक्यांशों अथवा पदों के मध्य विचार अथवा भाव को विशिष्ट रूप से व्यक्त करने हेतु, उदाहरण अथवा जैसे के बाद, उद्धरण के अंत में, लेखक के नाम के पूर्व और कथोपकथन में नाम के आगे किया जाता है।
जैसे-समस्तजीव-जंतु-घोड़ा, ऊँट, बैल, कोयल, चिड़िया सभी व्याकुल थे। तुम सो रहे हो- अच्छा, सोओ।
द्वारपाल - भगवन ! एक दुबला-पतला ब्राह्मण द्वार पर खड़ा है।

8.
उद्धरणचिह्न (‘‘ ’’)- जब किसी अन्य की उक्ति को बिना किसी परिवर्तन को ज्यों-का-त्यों रखा जाता है, तब वहाँ इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। इसके पूर्व अल्पविराम-चिह्न लगता है। जैसे-नेताजी ने कहा था, ‘‘तुम हमें खून दो, हम तुम्हें आजादी देंगे।’’

9.
आदेशचिह्न (:- )- किसी विषय को क्रम से लिखना हो तो विषय-क्रम व्यक्त करने से पूर्व इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे-सर्वनाम के प्रमुख पाँच भेद हैं :-
(1)
पुरुषवाचक, (2) निश्चयवाचक, (3) अनिश्चयवाचक, (4) संबंधवाचक, (5) प्रश्नवाचक।

10.
योजकचिह्न (-)-समस्त किए हुए शब्दों में जिस चिह्न का प्रयोग किया जाता है, वह योजक चिह्न कहलाता है। जैसे- सुख-दुख, पाप-पुण्य।

11.
लाघवचिह्न (.)- किसी बड़े शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए उस शब्द का प्रथम अक्षर लिखकर उसके आगे शून्य लगा देते हैं। जैसे-पंडित=पं., डॉक्टर=डॉ., प्रोफेसर=प्रो.